वो ना दूर है, ना करीब है,
ये जो हिज्र है, ये नसीब है.
(हिज्र = दुरिया)
जो विसाल था, वो तो ख्वाब्ब था,
ये ख़याल कितना अजीब है.
(विसाल=सच्चाई)
वही आसूओं में, दूवाओं में,
वही सुख-दुःख में करीब है.
जो मै सोचता हूँ कह सकू,
मेरा हर्फ़-हर्फ़, रकीब है.
(हर्फ़-हर्फ़ = अन्दर का दुःख) (रकीब= भगवान)
ये फलक ज़मीन को समेट ले,
मेरा दिल भी कितना गरीब है.
(फलक = आसमान)
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