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Wednesday, February 16, 2011

ये जिंदगी

ये जिंदगी,
जिये जा यु ही,
मर-मर के रातोंको,
पीये जा यु ही.

याद आते है,
वो गुज़रे ज़माने,
भूल के वो पल,
जिये जा यु ही.

कौन है यहाँ,
तेरा अपना पराया,
ये रोना छोड़ के,
हँसे जा यु ही.

अब के बाद-ऐ-सबा,
ज़ुल्म करती हमपर,
ये भी सही तो,
सहे जा यु ही.

तुझसे मिलते जो,
कब थे तेरे यहाँ,
यह तेरा भरम "पाशा",
रखे जा यु ही.

Saturday, February 5, 2011

लोग

कल जो लोग अपने थे,
आज वो क्यू पराये है ?

दिल में अपने बसते थे,
आज वो क्यू रुलाते है ?

मिल के कभी हसते थे,
आज वो क्यू कतराते है ?

दोस्ती पे नाज़ रखते थे,
आज वो क्यू शरमाते है ?

ये कैसी रंजिश है "पाशा"
आज वो क्यू वहशी है ?