यू ना मिल मुझ से दुश्मन हो जैसे,
साथ चल मेरे दोस्त हो जैसे.
लोग यू देख कर हँस देते है,
तू मुझे भूल गया हो जैसे.
दोस्ती की इन्तहा इतनी ना बढ़ा,
यू ना इतरा खुदा हो जैसे.
ऐसे अनजान बने बैठे हो,
तुम को कुछ भी ना पता हो जैसे.
हिचकीया रात को आती रही,
तूने याद किया हो जैसे.
ज़िन्दगी कट रही है 'पाशा'
बेकसूरी की सज़ा हो जैसे.
मौत भी आयी इस नाज़ के साथ,
मुझ पे एहसान किया हो जैसे.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 20.06.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://charchamanch.blogspot.com/
Thank you Shri. Manoj Ji, I am really greatful about this. I have no words.
ReplyDeleteमौत भी आयी इस नाज़ के साथ,
ReplyDeleteमुझ पे एहसान किया हो जैसे.
Bahut hi behtarin khayal hai huzoor.