ख़ूबसूरत बह्र में ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद ! मगर … रात को दे दो चाँदनी किरिदा, को ऐसे कहते तो शायद बात आसानी से समझ आ जाती रात को चांदनी की दे दो रिदा पूरी ग़ज़ल अच्छी है , लेकिन मक़्ते के शे'र में बात बिगड़ गई… आज की दास्ता 'पाशा' हमारी है. बह्र क़ाइम नहीं रह पाई , बुरा न मानें ।
वक़्त 'पाशा' तुम्हारा था कल तक आज से बात हर हमारी है इसे यूं , या किसी और तरह से कह सकते थे । बहरहाल , आपका ब्लॉग के संसार में ख़ैरमक़्दम है ! कभी बात की इच्छा हो तो मेल करें… swarnkarrajendra@gmail.com और मेर ब्लॉग शस्वरं पर भी आपका स्वागत है …
ख़ूबसूरत बह्र में ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !
ReplyDeleteमगर …
रात को दे दो चाँदनी किरिदा,
को ऐसे कहते तो शायद बात आसानी से समझ आ जाती
रात को चांदनी की दे दो रिदा
पूरी ग़ज़ल अच्छी है , लेकिन मक़्ते के शे'र में बात बिगड़ गई…
आज की दास्ता 'पाशा' हमारी है.
बह्र क़ाइम नहीं रह पाई , बुरा न मानें ।
वक़्त 'पाशा' तुम्हारा था कल तक
आज से बात हर हमारी है
इसे यूं , या किसी और तरह से कह सकते थे ।
बहरहाल , आपका ब्लॉग के संसार में ख़ैरमक़्दम है !
कभी बात की इच्छा हो तो मेल करें…
swarnkarrajendra@gmail.com
और मेर ब्लॉग शस्वरं पर भी आपका स्वागत है …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
"आप के बाद हर घडी हमने,
ReplyDeleteआप के साथ ही गुजारी है.
रात को दे दो चाँदनी किरिदा,
दिल की चादर अभी उतारी है.
कल का हर वाकया तुम्हारा था,
आज की दास्ता 'पाशा' हमारी है."
बहुत खूब
khoobasoorat gajal---hindi blog jagat men apka svagat karate huye khushee ho rahee hai.
ReplyDeletePoonam
ब्लॉग की दुनिया में ख़ुश आमदीद ,
ReplyDeleteआप के बाद हर घडी हमने,
आप के साथ ही गुजारी है.
ग़ज़ल की तमामतर रानाइयों को निभाता हुआ शेर है ये
लेकिन मक़ते के मामले में मैं राजेंद्र जी से मुत्तफ़िक़ हूं ,
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteThank you for comments
ReplyDelete"आप के बाद हर घडी हमने,
ReplyDeleteआप के साथ ही गुजारी है.
kya bat hai huzoor.