साथ निभाया हर एक वक़्त के बाद,
ज़िन्दगी कैसे कटे बिछड़ने के बाद.
जी भर गया मेरा तन्हाई से अब,
कौन जिये ज़िन्दगी मर जाने के बाद.
दुनिया से निभाई हर वफ़ा मैंने,
क्या याद ताल्लुक ऐ खुदगर्जी के बाद.
'पाशा' लौटकर तुझे दोस्त बनायेंगे,
इस ज़िन्दगी से निजात के बाद.
bahut sundar rachana.........aapki saari post achchhi hai
ReplyDeletepasha ji, itani sundar shyari likhi hai aapne jiski har panktiyan dilchasp hai.
ReplyDeletepoonam