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Monday, November 29, 2010

आग

जिंदगी एक बददुवा सी  लगती हैं,
हर ख़ुशी अधूरी सी लगती हैं.

बदल जाये ये हालात मेरे,
हर ठोकर चाहत सी लगती हैं.

अब रातो को हूँ जागता मैं,
नीद सुलगते संदल सी लगती हैं.

हर वक़्त दिल ने पुकारा तुझे,
धड़कने सीने में जलती सी लगती हैं.

कब बुझे आग मेरे दिल की,
अपनी राख भी अजनबी सी लगती हैं.

किस दिशा मे "पाशा" उठे कदम,
मौत भी मुझे परायी सी लगती हैं.