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Thursday, September 1, 2011

मोहब्बत

मेरा जज्बे मोहब्बत, कम न होगा,
जहान-ऐ-आरजू, बरहम न होगा.

बढेगा मेरी, दुनिया में उजाला,
चराग-ऐ-सोजे गम, मधम न होगा.

जहान-ऐ-आबो गिल से, और मावरा भी,
तेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत कम न होगा.

तेरे दर पे जो, सरख़म हो गया है,
वो अब दुनिया के आगे ख़म न होगा.

लडूंगा गर्दिश-ऐ-दौरा से हरदम,
मेरा जोशे-ऐ-अमल अब कम न होगा.

Wednesday, June 29, 2011

Shayari Sach Bolati hain

लाख परदों में रहूँ
भेद मेरे खोलती हैं
शायरी सच बोलती हैं.
मैंने देखा हैं की
जब मेरी जबा डोलती हैं
शायरी सच बोलती है

तेरा इसरार के
चाहत मेरी बेताब न हो
वाकिफ-ऐ-ग़म से मेरा
हल्का-ऐ-एहबाब न हो
तू मुझे जब्त के
सहेरा में क्यों रोलती हैं
शायरी सच बोलती है

ये भी क्या बात के
छुप-छुप के तुझे प्यार करू
गर कोई पूछ ही बैठे तो
मैं इनकार करू
जब किसी बात को
दुनिया की नज़र तोलती हैं
शायरी सच बोलती हैं

मैंने इस फ़िक्र में काटी
कई राते कई दिन
मेरे शेरो में
तेरा नाम ना आये लेकिन
जब तेरी सांस
मेरी सांस में रस घोलती हैं
शायरी सच बोलती हैं

तेरी जलवो का हैं
परतो मेरी इक इक ग़ज़ल
तू मेरे जिस्म का साया है
तो कतरा के ना चल
परदादारी तो खुद अपनाही
भरम खोलती हैं
शायरी सच बोलती हैं 

Friday, April 8, 2011

खैरियत की दूवाँ

मैंने मांगी है दूवाँ,
तेरे खैरियत की,
खुश रहे तू सदा,
खुश ही रहने की.

तूने जो अंजाम दिया,
उस में ना जल जाने की.

मेरा जो है यहाँ,
तुझ को मिल जाने की.

दर्द-ऐ-एहसास नहीं,
ये सिला भी भूल जाने की.

"पाशा" अब बीत गये,
दिल सुहाने दिन होने की.

ग़मगीन ख़ुशी

हैरत में हूँ मैं पड़ा,
क्यु तुझसे हूँ जुदा.

अब दुरी जिंदगी भर की,
किस उलझन में हूँ खड़ा.

ये रास्ते कट ही जायेंगे,
ग़मगीन ख़ुशी में सदा.

दस्तूर-ऐ-दुनिया है तू,
नाउम्मीदों में मैं डूबा.

सोचना पड़ा

दिल उनसे जा मिला,
तो मुझे सोचना पड़ा,
एक सिलसिला चला,
तो मुझे सोचना पड़ा.

उनसे वफाए की,
तो बुरा मानने लगे,
करने लगे गिला,
तो मुझे सोचना पड़ा.

वो तो जरासी बातपे,
नाराज़ हो गए,
जब ऐसा गुल खिला,
तो मुझे सोचना पड़ा.

झगड़ा तो हुस्नो इश्क में,
होता ही है मगर,
आया जो फासला,
तो मुझे सोचना पड़ा.

बनके भी मेरे,
बन ना सके संगदिल सनम,
ऐसा मिला सिला,
तो मुझे सोचना पड़ा.

Wednesday, February 16, 2011

ये जिंदगी

ये जिंदगी,
जिये जा यु ही,
मर-मर के रातोंको,
पीये जा यु ही.

याद आते है,
वो गुज़रे ज़माने,
भूल के वो पल,
जिये जा यु ही.

कौन है यहाँ,
तेरा अपना पराया,
ये रोना छोड़ के,
हँसे जा यु ही.

अब के बाद-ऐ-सबा,
ज़ुल्म करती हमपर,
ये भी सही तो,
सहे जा यु ही.

तुझसे मिलते जो,
कब थे तेरे यहाँ,
यह तेरा भरम "पाशा",
रखे जा यु ही.

Saturday, February 5, 2011

लोग

कल जो लोग अपने थे,
आज वो क्यू पराये है ?

दिल में अपने बसते थे,
आज वो क्यू रुलाते है ?

मिल के कभी हसते थे,
आज वो क्यू कतराते है ?

दोस्ती पे नाज़ रखते थे,
आज वो क्यू शरमाते है ?

ये कैसी रंजिश है "पाशा"
आज वो क्यू वहशी है ?

Thursday, January 27, 2011

मै और मेरा महखाना

तुम मत यह कहना,
छोड़ दो ये पीना,
मै और मेरा महखाना.

यहाँ कोई दर्द न छुएं,
न हो कोई अहसास पुराना,
मै और मेरा महखाना.

लगे यहाँ दोस्तों का हुजूम,
न हो कोई दुश्मन हमारा,
मै और मेरा महखाना.

दिल की बातें होती वो,
न लगे कोई फ़साना,
मै और मेरा महखाना.

कसक उठी भी तो,
बोतलों में डूब जाना,
मै और मेरा महखाना,

तुमें भी ये तलब,
छोड़ दे "पाशा" पीना,
मै और मेरा महखाना.