मेरा जज्बे मोहब्बत, कम न होगा,
जहान-ऐ-आरजू, बरहम न होगा.
बढेगा मेरी, दुनिया में उजाला,
चराग-ऐ-सोजे गम, मधम न होगा.
जहान-ऐ-आबो गिल से, और मावरा भी,
तेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत कम न होगा.
तेरे दर पे जो, सरख़म हो गया है,
वो अब दुनिया के आगे ख़म न होगा.
लडूंगा गर्दिश-ऐ-दौरा से हरदम,
मेरा जोशे-ऐ-अमल अब कम न होगा.