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Thursday, March 25, 2010

bichade dost

बिछड़े दोस्त की याद में.................

वो कभी मिल जाए तो क्या कीजिये,
रात-दिन सूरत को देखा कीजिये.

चाँदनी रातो में इक-इक फूल को,
बेखुदी कहती है सजदा कीजिये.

जो तमन्ना बर ना आये उम्रभर,
उम्रभर उसकी तमन्ना कीजिये.

इश्क की रंगियों में डूबकर,
चाँदनी रातों में रोया कीजिये.

हम ही उसके इश्क के काबिल न थे,
क्यों किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिये.

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