वो हमें इस कदर आज़माते रहे,
मुश्किलिया हमारी बढाते रहे.
वो अकेले में भी जो लगाते रहे,
हो न हो हम उनको याद आते रहे.
याद करने पर भी दोस्त आये न याद,
दोस्तों के करम याद आते रहे.
प्यार से उनका इनकार है हक मगर,
लब क्यों देर तक थरथराते रहे.
आखे सुखी हुई नदीया मगर,
तुफ्फां बादस्तूर आते रहे.
थी कमाने हाथों में दुश्मनों की,
तीर मगर अपनो की जानिब से आते रहे.
कर लिया सब ने हम से किनारा मगर,
इक नक्श ए पागोश "पाशा" याद आते रहे.
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