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Friday, March 12, 2010

dostii

दोस्ती की परवाह हम करे क्यों?
रहे इंतज़ार ऐ आलम, इत्मीनान करे क्यों ?

परदानशी ना सीखी इसपर चुप फिर भी हम,
अब तमन्ना ऐ दिल करार करे क्यों?

दोस्तों का आलम ये, किनारा है कर जाते,
अब ऐसे मई हम दिल की बात करे क्यों?

अब ऐसे दोस्ती पे एक्तियार नहीं शायद,
अब पाशा ऐ दिल बुत ऐ इंसान से दोस्ती करे क्यों?

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