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Thursday, September 1, 2011

मोहब्बत

मेरा जज्बे मोहब्बत, कम न होगा,
जहान-ऐ-आरजू, बरहम न होगा.

बढेगा मेरी, दुनिया में उजाला,
चराग-ऐ-सोजे गम, मधम न होगा.

जहान-ऐ-आबो गिल से, और मावरा भी,
तेरा दर्द-ऐ-मोहब्बत कम न होगा.

तेरे दर पे जो, सरख़म हो गया है,
वो अब दुनिया के आगे ख़म न होगा.

लडूंगा गर्दिश-ऐ-दौरा से हरदम,
मेरा जोशे-ऐ-अमल अब कम न होगा.

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