कुछ आखों का भरम रहने दो,
मुझको और पल दो पल जीने दो.
यादों के नस्तर दिल पे चलने दो,
हम डूबे तो अब डूब जाने दो.
इस बात से तुम को हया होने दो,
हम जान से गुजरते है गुजर जाने दो.
वक़्त का तकाजा ये सबब रहने दो,
आज तुम्हे कुछ पल बेवफा कहने दो.
वक़्त बदलता है तो बदलने दो,
गम ऐ गुबार दिल से बहने दो.
होशो में पूछेगें तुझे सबब दो,
पर आज इस बेखुदी में मरने दो.
उस तरफ की खुशिया रहने दो,
इस तरफ की गम ऐ रुखसत सहने दो.
महखाने के दर खुले रहने दो,
सरबत ऐ सुरूर से पहचान होने दो.
ये आखिरी 'पाशा' ऐ सलाम लेने दो,
फिर आस का कोई दिप जलने दो.
खुबसूरत शेर दिल की गहराई से लिखा गया बधाई
ReplyDeleteहोशो में पूछेगें तुझे सबब दो,
ReplyDeleteपर आज इस बेखुदी में मरने दो.
Dear pasha bhai, hosho ke bajay hosh hota to shayad behtar hota.
ये आखिरी 'पाशा' ऐ सलाम लेने दो,
फिर आस का कोई दिप जलने दो.
Nice ending. Sas rahe na rahe magar aas zaroor rahe.
Badhiya hai. nice poetry
good
ReplyDeleteshabda vyanjana atyant sundar
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