चाँद से फूल से या मेरी जुबान से सुनिये,
हर तरफ आपका किस्सा जहाँ से सुनिये.
आपको आता है मुझको सताकर जीना,
ज़िन्दगी क्या ? मुहब्बत की दुवाँ से सुनिये.
मेरी आवाज़ परदा है मेरे चहरे का,
मैं हूँ खामोश जहां मुझको वहाँ से सुनिये.
क्या जरूरी है की हर परदा उठाया जाए ?
मेरे पाशा ऐ हालात अपने दिल से सुनिये.
BHAISAHAB BAHOT BADHIYA HAI MOHAN KO AUR MUZE BAHOT PASAND AYE HAI
ReplyDeletekya baat hai manpasad baat hai
ReplyDeleteunkahi baaten kahi huue zubaan se
ReplyDeletedil ko chuuti hai
ReplyDeleteबहुत खूब पाशा भाई
ReplyDeleteकुछ पंक्तिय असल में ऐसे हैं
" सबको आता नहीं दुनिया को सजाकर जीना
जिंदगी क्या है मोहब्बत की जुबान से सुनिए "