दिल में अब यू तेरे भूले
हुए गम आते हैं,
जैसे खुली हुए आखों में,
ख्वाब आते हैं.
इक इक कर के हुए,
जाते हैं तारे रौशन,
तेरी मंजिल की तरफ,
मेरे क़दम आते हैं.
कुछ हम ही को नहीं
एहसान उठाने का दिमाग,
वो तो जब आते हैं,
माइल-बा-करम आते हैं.
और कुछ देर न गुज़रे,
शब्-ए-फुरक़त से कहो,
दिल भी कम दुखता है,
वो "पाशा" याद भी कम आते हैं.
shabd nahi milte
ReplyDelete