वो कैसी पागल लड़की थी,
वो ऐसी पागल लड़की थी,
रातों को उठ-उठ कर,
ख्वाबों का तसवुर करती थी.
आखों में ख़ाब सजाये,
होने का तसवुर करती थी.
नींद के गहरे झोके में,
चलने का तसवुर करती थी.
पतझड़ के बेमानी मौसम में,
फूलों का तसवुर करती थी.
मेरा नाम रेत पे लिख कर,
पढ़ने का तसवुर करती थी.
वो कैसी पागल लड़की थी
वो ऐसी पागल लड़की थी.
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