नज़र मुझ से मिलाती हो,
तो तुम, शरमा सी जाती हो,
इसी को प्यार कहते है.
ज़बा खामोश है लेकिन,
निगाहें बात करती है,
अदाये लाख भी रोको,
अदाये बात करती है,
नज़र निची किये दाँतों में,
उंगली को दबाती हो,
इसी को प्यार कहते है.
छुपाने से मेरी जानम,
कही क्या प्यार छुपता है,
ये ऐसा पुष्प है खुशबू ,
हमेशा देता रहता है,
तुम तो सब जानती हो,
फिर भी क्यु, मुझको सताती हो,
इसी को प्यार कहते है.
तुम्हारे प्यार का ऐसे,
हमें इज़हार मिलता है,
हमारा नाम सुनते ही,
तुम्हारा रंग खिलता है,
और फिर साज़ दिल पर तुम,
हमारे गीत गाती हो,
इसी को प्यार कहते है.
तुम्हारे घर मै जब आऊ,
तो छुप जाती हो परदे में,
मुझे जब देख ना पावो,
तो घबराती हो परदे में,
खुद ही चिलमन उठा कर,
फिर इशारों से बुलाती हो,
इसी को प्यार कहते है.
the same thing with this
ReplyDeleteI said my sole detail please contact me urgently.
ReplyDeleteMujhe kuch chijo ku bhahut jaldi hai bhai