तमाम एतिहात हम से किये गये,
फिर भी दोस्त अपने राह चले गये.
हमने दी सदा-ओ-सदाए हर बार,
फिर भी क्यों कर तनहा छोड़ गये.
पहले कभी ना यु तोहफा दिया,
फिर वो इक शाम रुसवा कर गये.
और दुनिया में कितनी जिलत उठाये,
उन्हें बताये 'पाशा' जहान से गुज़र गये.
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Tuesday, June 29, 2010
Monday, June 28, 2010
वीराने
उस बादाखार को सोच ही रहे थे,
हुई क़यामत के वो सामने थे.
पाया हमने याद ओ असर आज,
जो बरसो तनहा छोड़ गए थे.
दिल में एक हूक जाग उठी तो है,
पर वो आज मिले जैसे पराये थे.
उम्मीद ओ चश्म की बुझ है गयी,
और वो कहे के साथी जनमों के थे.
आज भी मुझ से वो अनजाने लगे,
और भी 'पाशा' ऐ दिल में वीराने थे.
हुई क़यामत के वो सामने थे.
पाया हमने याद ओ असर आज,
जो बरसो तनहा छोड़ गए थे.
दिल में एक हूक जाग उठी तो है,
पर वो आज मिले जैसे पराये थे.
उम्मीद ओ चश्म की बुझ है गयी,
और वो कहे के साथी जनमों के थे.
आज भी मुझ से वो अनजाने लगे,
और भी 'पाशा' ऐ दिल में वीराने थे.
Saturday, June 19, 2010
इन्तहा
यू ना मिल मुझ से दुश्मन हो जैसे,
साथ चल मेरे दोस्त हो जैसे.
लोग यू देख कर हँस देते है,
तू मुझे भूल गया हो जैसे.
दोस्ती की इन्तहा इतनी ना बढ़ा,
यू ना इतरा खुदा हो जैसे.
ऐसे अनजान बने बैठे हो,
तुम को कुछ भी ना पता हो जैसे.
हिचकीया रात को आती रही,
तूने याद किया हो जैसे.
ज़िन्दगी कट रही है 'पाशा'
बेकसूरी की सज़ा हो जैसे.
मौत भी आयी इस नाज़ के साथ,
मुझ पे एहसान किया हो जैसे.
साथ चल मेरे दोस्त हो जैसे.
लोग यू देख कर हँस देते है,
तू मुझे भूल गया हो जैसे.
दोस्ती की इन्तहा इतनी ना बढ़ा,
यू ना इतरा खुदा हो जैसे.
ऐसे अनजान बने बैठे हो,
तुम को कुछ भी ना पता हो जैसे.
हिचकीया रात को आती रही,
तूने याद किया हो जैसे.
ज़िन्दगी कट रही है 'पाशा'
बेकसूरी की सज़ा हो जैसे.
मौत भी आयी इस नाज़ के साथ,
मुझ पे एहसान किया हो जैसे.
Friday, June 18, 2010
बेदिली
आज वो हमसे मिले शर्म-सार होकर,
निगाहें राहगीरों पर थी अनजान होकर.
वक़्त का तकाजा था सो चूप रह गए,
करम यारों के देखे बेजान होकर.
वो बेदिली सही के हाय हाय,
इंसान-ऐ-बुत हुए नादान होकर.
यारों की फितरते बदलते देखी,
जिये जाते है 'पाशा' पशेमान होकर.
निगाहें राहगीरों पर थी अनजान होकर.
वक़्त का तकाजा था सो चूप रह गए,
करम यारों के देखे बेजान होकर.
वो बेदिली सही के हाय हाय,
इंसान-ऐ-बुत हुए नादान होकर.
यारों की फितरते बदलते देखी,
जिये जाते है 'पाशा' पशेमान होकर.
दोस्ती
क्या खबर तुम को दोस्ती क्या है,
ये रोशनी भी अँधेरा भी है,
ख्वाहिशों से भरा जजीरा भी,
बहोत अनमोल एक हीरा भी है.
दोस्ती हसीन ख्वाब भी है,
पास से देखो तो शराब भी है,
दुःख मिलने पे ये अजीब है,
और यह प्यार का जवाब भी है.
दोस्ती यू तो माया जाल भी है,
एक हकीकत और ख्याल भी है,
कभी फुरक़त कभी विसाल भी है,
कभी ज़मीन तो फलक भी है.
दोस्ती झूठ तो सच भी है,
दिल में रह गई तो कसक भी है,
कभी ये हार कभी जीत भी है,
दोस्ती साज़ भी संगीत भी है,
शेर भी नज़्म भी गीत भी है,
वफ़ा क्या है वफ़ा भी दोस्ती है,
दिल से निकली दुआ भी दोस्ती है,
बस इतना समझ लो 'पाशा'
प्यार की इन्तेहा भी दोस्ती है.
ये रोशनी भी अँधेरा भी है,
ख्वाहिशों से भरा जजीरा भी,
बहोत अनमोल एक हीरा भी है.
दोस्ती हसीन ख्वाब भी है,
पास से देखो तो शराब भी है,
दुःख मिलने पे ये अजीब है,
और यह प्यार का जवाब भी है.
दोस्ती यू तो माया जाल भी है,
एक हकीकत और ख्याल भी है,
कभी फुरक़त कभी विसाल भी है,
कभी ज़मीन तो फलक भी है.
दोस्ती झूठ तो सच भी है,
दिल में रह गई तो कसक भी है,
कभी ये हार कभी जीत भी है,
दोस्ती साज़ भी संगीत भी है,
शेर भी नज़्म भी गीत भी है,
वफ़ा क्या है वफ़ा भी दोस्ती है,
दिल से निकली दुआ भी दोस्ती है,
बस इतना समझ लो 'पाशा'
प्यार की इन्तेहा भी दोस्ती है.
Wednesday, June 16, 2010
इक शख्स
बना गुलाब तो काँटे चुभा गया एक शख्स,
हुआ चिराग तो घर ही जला गया इक शख्स.
तमाम रंग मेरे और सारे ख़्वाब मेरे,
फ़साना कह कर फ़साना बना गया इक शख्स.
मै किस हवा में उडूँ किस फ़ज़ा में लहराऊ,
दुखों के जाल हरसू बिछा गया इक शख्स.
पलट सकूँ मैं ना आगे बढ़ सकूँ जिस पर,
मुझे ये कौन से रास्ते लगा गया इक शख्स.
मुहब्बतें भी अजीब उस की नफरतें भी कमाल,
मेरी तरह का ही मुझ में समा गया इक शख्स.
वो माहताब था मरहम बादस्त आया था,
मगर कुछ और सिवा दिल दुखा गया इक शख्स.
खुला ये राज़ के आईनाखाना है दुनिया,
और इस में मुझ को 'पाशा' तमाशा बना गया इक शख्स.
हुआ चिराग तो घर ही जला गया इक शख्स.
तमाम रंग मेरे और सारे ख़्वाब मेरे,
फ़साना कह कर फ़साना बना गया इक शख्स.
मै किस हवा में उडूँ किस फ़ज़ा में लहराऊ,
दुखों के जाल हरसू बिछा गया इक शख्स.
पलट सकूँ मैं ना आगे बढ़ सकूँ जिस पर,
मुझे ये कौन से रास्ते लगा गया इक शख्स.
मुहब्बतें भी अजीब उस की नफरतें भी कमाल,
मेरी तरह का ही मुझ में समा गया इक शख्स.
वो माहताब था मरहम बादस्त आया था,
मगर कुछ और सिवा दिल दुखा गया इक शख्स.
खुला ये राज़ के आईनाखाना है दुनिया,
और इस में मुझ को 'पाशा' तमाशा बना गया इक शख्स.
खातिर
फिर उस से मिले जिसके खातिर,
बदनाम हुये, बदनाम हुये,
थे ख़ास बहुत अब तक या अली,
अबेआम हुये, बदनाम हुये.
दो लम्हे चाँदनी रातो के,
दो लम्हे प्यार की बातों के,
इल्ज़ाम हुये, बदनाम हुये.
यु तो ना गयी वहाँ कोई खबर,
पर आहो के खामोश असर,
पैगाम हुये, बदनाम हुये.
यु तो दिये कुछ सुख हमको,
पर उन से जो पहुँचे दुःख हमको,
इनाम हुये, बदनाम हुये.
जब होने लगे ये हाल अपने,
सब रौशन साफ़ ख़याल अपने,
इबहाम हुये, बदनाम हुये.
बदनाम हुये, बदनाम हुये,
थे ख़ास बहुत अब तक या अली,
अबेआम हुये, बदनाम हुये.
दो लम्हे चाँदनी रातो के,
दो लम्हे प्यार की बातों के,
इल्ज़ाम हुये, बदनाम हुये.
यु तो ना गयी वहाँ कोई खबर,
पर आहो के खामोश असर,
पैगाम हुये, बदनाम हुये.
यु तो दिये कुछ सुख हमको,
पर उन से जो पहुँचे दुःख हमको,
इनाम हुये, बदनाम हुये.
जब होने लगे ये हाल अपने,
सब रौशन साफ़ ख़याल अपने,
इबहाम हुये, बदनाम हुये.
Monday, June 14, 2010
वाकया
शाम से आज सांस भारी है,
बेक़रारी है बेक़रारी है.
आप के बाद हर घडी हमने,
आप के साथ ही गुजारी है.
रात को दे दो चाँदनी कि रिदा,
दिन की चादर अभी उतारी है.
कल का हर वाकया तुम्हारा था,
आज की दास्ता 'पाशा' हमारी है.
बेक़रारी है बेक़रारी है.
आप के बाद हर घडी हमने,
आप के साथ ही गुजारी है.
रात को दे दो चाँदनी कि रिदा,
दिन की चादर अभी उतारी है.
कल का हर वाकया तुम्हारा था,
आज की दास्ता 'पाशा' हमारी है.
गम
जब भी आँखों में अश्क भर आये,
लोग कुछ डूबते नज़र आये.
मुद्दते हो गयी सहर देखे,
कोई आहट कोई खबर आये.
चाँद जितने भी गम हुए शब के,
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आये.
मुझको अपना पता ठिकाना मिले,
वो भी इक बार मेरे घर आये.
लोग कुछ डूबते नज़र आये.
मुद्दते हो गयी सहर देखे,
कोई आहट कोई खबर आये.
चाँद जितने भी गम हुए शब के,
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आये.
मुझको अपना पता ठिकाना मिले,
वो भी इक बार मेरे घर आये.
गुबार
मेरा क्या था तेरे हिसाब में,
मेरा सांस-सांस उधार था,
जो गुजर गया वो तो वक़्त था,
जो बचा रहा वो गुबार था.
तेरी आरज़ू में उड़े तो थे,
चंद खुश्क पत्ते चरार के,
जो हवा के दोष से गिर पड़ा,
उन में एक ये ख़ाक सार था.
वो उदास उदासी की शाम थी,
वो ही चेहरा एक चराग था,
और कुछ नहीं था जमीन पर,
एक आसमा का गुबार था.
बड़े सूफियो से ख़याल थे,
और बया भी उसका कमाल था,
कहा मैंने कब वही था वो,
एक शख्श था बादाखार था.
मेरा सांस-सांस उधार था,
जो गुजर गया वो तो वक़्त था,
जो बचा रहा वो गुबार था.
तेरी आरज़ू में उड़े तो थे,
चंद खुश्क पत्ते चरार के,
जो हवा के दोष से गिर पड़ा,
उन में एक ये ख़ाक सार था.
वो उदास उदासी की शाम थी,
वो ही चेहरा एक चराग था,
और कुछ नहीं था जमीन पर,
एक आसमा का गुबार था.
बड़े सूफियो से ख़याल थे,
और बया भी उसका कमाल था,
कहा मैंने कब वही था वो,
एक शख्श था बादाखार था.
इंतज़ार
वो वो ना रहे,
जिनके लिए हम थे बेकरार,
अब कैसा इंतजार,
अजी किसका इंतज़ार
वो- वो ना रहे
जिनके लिए हम थे बेकरार,
अब कैसा इंतजार,
अजी किसका इंतज़ार
वो- वो ना रहे
Thursday, June 10, 2010
वफ़ा-ऐ-दोस्त
बात करनी मुझसे मुश्किल,
कभी ऎसी तो ना थी,
जैसी आज है तेरी महफ़िल,
कभी ऎसी तो ना थी.
ले गया छीन के कौन,
आज तेरा चश्म-ऐ-अंदाज़,
संगीन बेदिली ऐ दिल उनकी,
कभी ऎसी तो ना थी.
उनकी आखो ने खुदा,
जाने किया क्या जादू,
के तबीयत मेरी नासाज़,
कभी ऎसी तो ना थी.
क्या सबब तू जो बिघड़ता,
है 'पाशा' से हर बार,
ये तेरी अदा-ओ-वफ़ा-ऐ-दोस्त,
कभी ऎसी तो ना थी.
कभी ऎसी तो ना थी,
जैसी आज है तेरी महफ़िल,
कभी ऎसी तो ना थी.
ले गया छीन के कौन,
आज तेरा चश्म-ऐ-अंदाज़,
संगीन बेदिली ऐ दिल उनकी,
कभी ऎसी तो ना थी.
उनकी आखो ने खुदा,
जाने किया क्या जादू,
के तबीयत मेरी नासाज़,
कभी ऎसी तो ना थी.
क्या सबब तू जो बिघड़ता,
है 'पाशा' से हर बार,
ये तेरी अदा-ओ-वफ़ा-ऐ-दोस्त,
कभी ऎसी तो ना थी.
सज़ाये
चलो बाट लेते है अपनी सज़ाये,
ना तुम याद आओ ना हम याद आये.
सभी ने लगाया है चेहरे पे चेहरा,
किसे याद रखे किसे भूल जाये.
उन्हें क्या खबर हो 'पाशा' आनेवाला ना आये,
बरसती रही है रातभर ये घटाये.
ना तुम याद आओ ना हम याद आये.
सभी ने लगाया है चेहरे पे चेहरा,
किसे याद रखे किसे भूल जाये.
उन्हें क्या खबर हो 'पाशा' आनेवाला ना आये,
बरसती रही है रातभर ये घटाये.
बेबाक
याद है सारे वो शुरू ऐ दोस्ती के मज़े,
दिल अभी भूला नहीं आगाज़ ऐ दोस्ती के मज़े.
मेरी जानिब से निगाह ऐ शौक़ की बेताबीया,
यार की जानीब से आगाज़ ऐ शरारत के मज़े.
हुस्न से अपने वो गाफिल थे, मै दोस्ती से,
अब कहाँ से लाऊ 'पाशा' वो ना-खयाली के मज़े.
हुस्न मिला आज किस्सी राह गुज़र पर मुझसे,
ना वो नाज़-ओ-अंदाज़-ऐ-खुलियत-ओ-बेबाक के मज़े.
दिल अभी भूला नहीं आगाज़ ऐ दोस्ती के मज़े.
मेरी जानिब से निगाह ऐ शौक़ की बेताबीया,
यार की जानीब से आगाज़ ऐ शरारत के मज़े.
हुस्न से अपने वो गाफिल थे, मै दोस्ती से,
अब कहाँ से लाऊ 'पाशा' वो ना-खयाली के मज़े.
हुस्न मिला आज किस्सी राह गुज़र पर मुझसे,
ना वो नाज़-ओ-अंदाज़-ऐ-खुलियत-ओ-बेबाक के मज़े.
दोस्तों की इनायत
हम में जो आवारगी है,
यह हर दोस्तों की इनायत है.
वो हम से कुछ ना कहे,
पर क्या दोस्ती नहीं है.
निबायेंगे बात मानेंगे,
हमने ये कहा नहीं है.
फिर भी क़तरा जाते 'पाशा',
उनको किस बात का यकी नहीं है.
यह हर दोस्तों की इनायत है.
वो हम से कुछ ना कहे,
पर क्या दोस्ती नहीं है.
निबायेंगे बात मानेंगे,
हमने ये कहा नहीं है.
फिर भी क़तरा जाते 'पाशा',
उनको किस बात का यकी नहीं है.
पहचान
ठहर जाओ के हैरानी तो जाये,
तुम्हारी शक्ल पहचानी तो जाये.
ऐ गम तू ही मेहमान बनके आजा,
हमारे दिल की वीरानी तो जाये.
ज़रा खुल कर रो लेने दो हम को,
के दिल की आग तक पानी हो जाये.
बला से तोड़ डालो आईनों को,
किसी सूरत-ऐ-'पाशा' हैरानी तो जाये.
तुम्हारी शक्ल पहचानी तो जाये.
ऐ गम तू ही मेहमान बनके आजा,
हमारे दिल की वीरानी तो जाये.
ज़रा खुल कर रो लेने दो हम को,
के दिल की आग तक पानी हो जाये.
बला से तोड़ डालो आईनों को,
किसी सूरत-ऐ-'पाशा' हैरानी तो जाये.
Monday, June 7, 2010
दास्तान
शायरजी हमें कहते हो,
कब सुनते कब पढ़ते हो.
इस अदा को क्या कहें,
क्यु ज़ुल्म हम पर करते हो.
लिखे शेर दास्तान है,
जुल्म का ना जानते हो.
बातें तेरी बंद है और,
जहाँ अपना समझते हो.
तड़प में कुछ कहेंगे "पाशा",
तो शायर कह कर हसती हो.
कब सुनते कब पढ़ते हो.
इस अदा को क्या कहें,
क्यु ज़ुल्म हम पर करते हो.
लिखे शेर दास्तान है,
जुल्म का ना जानते हो.
बातें तेरी बंद है और,
जहाँ अपना समझते हो.
तड़प में कुछ कहेंगे "पाशा",
तो शायर कह कर हसती हो.
Thursday, June 3, 2010
सफ़र
तेरी दुनिया का सफ़र मुश्किल रहा,
क्यों कर जीना यहाँ दुशवार रहा.
फलक के लाखो सितारे गवाह है,
तेरा चाँद ही मेरा दुश्मन रहा.
दिल की आरजू तलाशता मै मगर,
यह तलाश बेचैनी का सबब रहा.
तू क्या चाहता है हर बार 'पाशा'
बराबर जो दर्द-ए-विसाल भूला रहा.
क्यों कर जीना यहाँ दुशवार रहा.
फलक के लाखो सितारे गवाह है,
तेरा चाँद ही मेरा दुश्मन रहा.
दिल की आरजू तलाशता मै मगर,
यह तलाश बेचैनी का सबब रहा.
तू क्या चाहता है हर बार 'पाशा'
बराबर जो दर्द-ए-विसाल भूला रहा.
Tuesday, June 1, 2010
दोस्ती
वो तेरा बेरुखापन याद रहेगा,
पल पल का झूठ याद रहेगा.
नज़र किसी ओर रखकर भी,
कहना आपको देखा याद रहेगा.
हर नज़र से तो गैर किया,
ये आशना तेरा याद रहेगा.
यही तमन्ना है तो खुश हो जा,
अदावत-ए-रिश्ता मुझे याद रहेगा.
जो उपहार तूझे मिला है 'पाशा'
तो एहसान है सो याद रहेगा.
पल पल का झूठ याद रहेगा.
नज़र किसी ओर रखकर भी,
कहना आपको देखा याद रहेगा.
हर नज़र से तो गैर किया,
ये आशना तेरा याद रहेगा.
यही तमन्ना है तो खुश हो जा,
अदावत-ए-रिश्ता मुझे याद रहेगा.
जो उपहार तूझे मिला है 'पाशा'
तो एहसान है सो याद रहेगा.
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