बात करनी मुझसे मुश्किल,
कभी ऎसी तो ना थी,
जैसी आज है तेरी महफ़िल,
कभी ऎसी तो ना थी.
ले गया छीन के कौन,
आज तेरा चश्म-ऐ-अंदाज़,
संगीन बेदिली ऐ दिल उनकी,
कभी ऎसी तो ना थी.
उनकी आखो ने खुदा,
जाने किया क्या जादू,
के तबीयत मेरी नासाज़,
कभी ऎसी तो ना थी.
क्या सबब तू जो बिघड़ता,
है 'पाशा' से हर बार,
ये तेरी अदा-ओ-वफ़ा-ऐ-दोस्त,
कभी ऎसी तो ना थी.
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