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Wednesday, June 16, 2010

खातिर

फिर उस से मिले जिसके खातिर,
बदनाम हुये, बदनाम हुये,
थे ख़ास बहुत अब तक या अली,
अबेआम हुये, बदनाम हुये.

दो लम्हे चाँदनी रातो के,
दो लम्हे प्यार की बातों के,
इल्ज़ाम हुये, बदनाम हुये.

यु तो ना गयी वहाँ कोई खबर,
पर आहो के खामोश असर,
पैगाम हुये, बदनाम हुये.

यु तो दिये कुछ सुख हमको,
पर उन से जो पहुँचे दुःख हमको,
इनाम हुये, बदनाम हुये.

जब होने लगे ये हाल अपने,
सब रौशन साफ़ ख़याल अपने,
इबहाम हुये, बदनाम हुये.

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