जब प्यार नहीं है तो,
भुला क्यु नहीं देते,
ख़त किस लिए रखे है,
जला क्यु नहीं देते.
किस वास्ते लिखा है,
हथेली पे मेरा नाम,
मै हर्फ़-ए-गलत हू तो,
मिटा क्यु नहीं देते.
लिलाह शबो रोज़ की,
उलझन से निकालो,
तुम मेरे नहीं हो तो,
बता क्यु नहीं देते.
रह रह के न तड़पाओ,
ऐ बेदर्द मसीहा,
हाथो से मुझे जहर,
पीला क्यु नहीं देते.
जब इसकी वफ़ाओ पे,
यकी तुमको नहीं है,
हसरत को निगाहों से,
गिरा क्यु नहीं देते.
kya yeh geet aapaka hai, agar hai to mai khariidnaa chahataa huu contact me on ahmadhussain@yahoo.com
ReplyDeletebahot khub pasha bhai. Shayad ye us din apne sunayi th jis din hatho me jam the. Bahot khub
ReplyDelete