तमाम एतिहात हम से किये गये,
फिर भी दोस्त अपने राह चले गये.
हमने दी सदा-ओ-सदाए हर बार,
फिर भी क्यों कर तनहा छोड़ गये.
पहले कभी ना यु तोहफा दिया,
फिर वो इक शाम रुसवा कर गये.
और दुनिया में कितनी जिलत उठाये,
उन्हें बताये 'पाशा' जहान से गुज़र गये.
बहुत बेहतरीन!वाह
ReplyDeletedost itne bhi namurad nahi hai huzoor jo dost ko jillate de. ha agar mehboob ki bat kare to sahi hai. BTW bahut badhiya
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