वो मुझसे पूछे तुम लिखते कैसे हो ?
हम कहे तुम लिखाते कैसे हो ?
अपने हस्ती को आप जानिये तो जरा,
अपने शक्शियत को आप पहचानिए तो जरा,
अपने मैं इतने पहलुओं को छिपाते कैसे हो?
इस बज़्म मैं आप सा और कोई नहीं ,
शमा ऐ चिराग आप सा कोई नहीं ,
रोशन ऐ मंजिल आप से है तो,
अपने मैं इतनी आग छिपाते कैसे हो ?
अपने दुनिया में खुश हो पर,
पाशा पूछे अपने गम को छिपाते कैसे हो?
iski maatraae milaaye khayaal uttam hai badhiyaa
ReplyDeleteAchaanak ye haath lagi
Dil ko bhi chhui aur karib lagi