अपनी नज़र से आज गिरा दीजिये मुझे,
मेरी वफ़ा की कुछ तो सजा दीजिये मुझे.
इक तरफ फैसले में इन्साफ था कहाँ,
मेरा कसूर क्या था बता दीजिये मुझे.
मै जा रहा हूँ, आऊँगा शायद ही लौट कर,
ऐसे न बार-बार सदा दीजिये मुझे.
कल की बात और है, मै रहूँ या ना रहूँ,
आज जितना जी चाहे, रुला दीजिये मुझे.
दोस्ती का यह क्या असर था "पाशा",
दुश्मनी की दुवाँ दीजिये मुझे.
Kisii bewafaa dost ki nazar kar raha huu, chahataa huu aap padhane hi use khush rahane ki duwaaye de
ReplyDeletekya bat hai. badi gahrayiya nap rahe ho
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